Ayodhya में हुई प्रभु राम की वापसी : कुछ लोनो ने कहा babri masjid black day : जानते है क्यों? पढ़िए पूरी खबर!!

Avnish Sharma
Avnish Sharma  - IT Department | News Blog
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babri masjid black day

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babri masjid black day : भारतीय इतिहास में ‘babri masjid demolition’ एक ऐसा घटना है जो देश के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण में गहरा प्रभाव छोडती है। इस घटना के पीछे छिपे हुए इतिहास, तात्कालिक स्थिति, और इसके पर्यावरण को समझने के लिए हमें इसके समय और तिथि की ओर देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आईये जानते है पूरी babri masjid case की घटना को निकट से !

बाबरी मस्जिद और इसका निर्माण:

बाबरी मस्जिद नामक स्थान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित था। इस मस्जिद का निर्माण मुघल सम्राट बाबर ने 1528 ईसा पूर्व हिन्दू मंदिरों को तोड़ कर किया गया था। इस स्थल पर बाबरी मस्जिद का निर्माण होने के बाद, यह स्थान हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र बन गया।

Babri Masjid demolition year एंड Date:

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1992 में, बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम जन्मभूमि के निर्माण के लिए हिन्दू समूहों ने आंदोलन चालाया। 6 दिसंबर 1992 को, एक हिन्दू संगठन द्वारा आयोजित ‘कार सेवक संघ का’ कारण, एक बड़ा आन्हुदोलन हुआ, और उन्होंने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। इस तात्कालिक घटना ने देशभर में हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच बड़े तनाव की स्तिथि बनी रही कुछ मुस्लिम पक्ष के संगठनों ने इसे दिन को babri masjid black day का भी नाम दिया।

तात्कालिक परिणाम:

बाबरी मस्जिद तोड़फोड़( babri masjid black day )की घटना ने देश को अपने आत्मसमर्पण और सहिष्णुता की परंपरा के खिलाफ खड़ा किया। यह घटना न केवल हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच दरारें बना दी, बल्कि इसने देश के राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित किया।

बाबरी मस्जिद तोड़फोड़ के बाद, देश में राजनीतिक हलचल बढ़ी। यह घटना ने बीजेपी जैसी हिन्दू राष्ट्रवादी दलों को समर्थन में बढ़ावा दिया, जबकि कई अन्य दलों ने इसे खड़ा किया कि यह एक धार्मिक स्थल की भावनाओं के साथ खिलवार है।

बाबरी मस्जिद तोड़फोड़ ने समाज में विभाजन की दीवारें बना दीं। हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के बीच विशेष रूप से यह विभाजन दिखा गया। इसके परिणामस्वरूप, समाज के विभिन्न हिस्सों में एक दूसरे के प्रति आपसी आपत्ति और असमंजस का माहौल बना रहा है।

केसे हुआ दोनों धर्मो के बीच का समाधान

बाबरी मस्जिद तोड़फोड़ के बारे में बात करते समय, हमें यह याद रखना चाहिए कि यह घटना देश के लिए एक कठिन समय का प्रतीक रही है। हमें इससे सिखना चाहिए कि धार्मिक स्थलों को लेकर होने वाले विवादों को शांति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए ताकि देश को एक सशक्त और एकमत समाज की दिशा में बढ़त का मौका मिले।

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