Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त : मोहिनी एकादशी व्रत से जन्मों के पाप होते हैं नष्ट, जानें यह पौराणिक कथा.

Avnish Sharma
Avnish Sharma  - IT Department | News Blog
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Mohini Ekadashi 2024: मई की दूसरी एकादशी “मोहिनी एकादशी” जो की वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में आती है, भारतीय सनातनी (हिन्दू) पंचांग के अनुसार इस वर्ष 19 मई 2024 को मनाई जाएगी, हिन्दू धर्म की माने तो मोहिनी एकादशी हिन्दू धर्म के अनुसार बहुत ही पावन और पवित्र मानी जाती रही है। प्राचीन काल से ही पंडितो और विद्वानों का मानना है की मोहिनी एकादशी का उपवास करने से भगवान श्री हरि विष्णु अपने भक्तो को इस जन्म और पूर्व जन्मो में किये गए पापो से मुक्ति प्रदान करते है, हिन्दू धर्म के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्तो को भगवान विष्णु जन्म मरण के बंधन से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की प्राप्ति करने का मार्ग सुगम करते है।

Mohini Ekadashi 2024
Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त : मोहिनी एकादशी व्रत से जन्मों के पाप होते हैं नष्ट, जानें यह पौराणिक कथा

एकादशी मई 2024 की दूसरी एकादशी कब है?

भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मोहिनी एकादशी 19 मई 2024 को मनाई जाएगी, “मोहिनी एकादशी” जो की वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में आती है।

Mohini Ekadashi 2024 मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

Mohini Ekadashi 2024 मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त।
Mohini Ekadashi 2024 मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

मई माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी पर उपवास करने वाले भक्तो के लिए मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त जानना अति आवश्यक है। शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का प्रारंभ 18 मई को सुबह 11:23 से हो जायगा और मोहिनी एकादशी मई 2024 की समाप्ति हिन्दू पंचांग के अनुसार 19 मई को दोपहर 1:50 पर होगी, विद्वान लोगो का मानना है  यदि एकादशी का व्रत पुरे विधि विधान से न किया जाए और एकादशी व्रत का पूर्णतया पालन न करने से भक्तो को पूर्ण फल प्राप्त नही होता।

मोहिनी एकादशी मई 2024 पारणा का समय (व्रत खोलने का समय)

मोहिनी एकादशी के व्रत खोलने का समय हिन्दू पंचाग के अनुसार 20 मई को सुबह 05:27 बजे से लेकर 08:11 तक रहेगा, इस बीच सभी भक्त अपने उपवास का खोल सकते है।

मोहिनी एकादशी व्रत विधि

मोहिनी एकादशी व्रत विधि

मोहिनी एकादशी के दिन सभी भक्तो को ब्रह्म मुहूर्त में उठाना चाहिए और स्नान करना चाहिए, स्नान करने के बाद सबसे पहले अपने घर में स्थित मंदिर की साफ़ सफाई सही ढंग से करनी चाहिए, उसके बाद अपनी विधि के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करे, भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्वच्छ ढंग से साफ़ करे, उनका अभिषेक करे और प्रभु को पीले वस्त्र पहनाएं, अपने मंदिर में मोहिनी एकादशी के दिन देशी घी का दीपक जलाएं, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। इन सभी प्रक्रिया को करने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और तुलसी दल चढ़ाएं। शाम को भी भगवान की पूजा करें और अगले दिन पारणा करके व्रत को समाप्त करे, ये सभी कार्य नियमित रूप से करने पर आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा

मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लाभ

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से आत्मा की शुद्धि तो होती है, साथ साथ एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्तियों में आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का भी साहस भी पैदा होता है,मोहिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य की आत्मा तो पवित्र होती है साथ साथ मनुष्य को भोतिक लाभ भी प्राप्त होता है,

मोहिनी एकादशी की व्रत कथा

मोहिनी एकादशी की व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है, भद्रावती नाम का एक अति सुन्दर नगर था, उस नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था, लोग भद्रावती शरार में उस धनवान व्यक्ति हो धनपाल के नाम से जाना करते थे, धनपाल स्वाभाव व चरित्र से बहुत ही नेक मनुष्य था धनपाल खूब दान पुण्य किया करता था, धनपाल के पांच बेटे थे, सुके पांच बेत्रो में सबसे छोटे वाले बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था, जो हमेशा बुरे कामो में लीन रहा करता था, एक दिन धनपाल ने अपने बेटे धृष्टबुद्धि से तंग आकर उसे अपने घर से बेघर कर दिया, घर निकाले जाने के बाद धृष्टबुद्धि बहुत ही शोक में डूब गया और कभी इधर तो कभी उधर पुरे शहर में भटकने लगा, एक दिन धृष्टबुद्धि भटकते भटकते महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुचा, महर्षि कौण्डिल्य ने उस समय गंगा में स्नान कर रहे थे, शोक में डूबा बेचारा धृष्टबुद्धि महर्षि कौण्डिल्य के समक्ष आ पंहुचा, और हाथ जोड़कर बड़े ही करुना भाव से महर्षि कौण्डिल्य से बोला , हे महर्षि! कृपा करके मुझ असहाय पर अपनी कृपा द्रष्टि रखिये, मुझे कोई ऐसा उपाए बताइए जिसके माध्यम से में अपने कष्टों को दूर कर सकू, सकी पीड़ा समझते हुए महर्षि कौण्डिल्य ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी.

महर्षि कौण्डिल्य ने कौण्डिल्य को बताया की मोहिनी एकादशी का उपवास करने से कई जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है, धृष्टबुद्धि  ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया. जिससे वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया.

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